प्र03 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए
मनुष्य बड़ा स्वार्थी है। वह अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनता है। जो प्राणी उसकी सहायता करता है,
आदमी उसका उपकार मानना तो दूर उलटे उसकी निंदा करता है। अपने हितैषी के साथ सदा
छल करता है। उसे धोखा देता है। मनुष्य बड़ा खुद गर्ज है। वह अपने को संसार का सबसे
अधिक बुद्धिमान प्राणी समझता है। मित्र को धोखा देना, हितैषी के विरूद्ध बातें करना और माता
पिता की पगडी उछालना वह भली भाँति जानता है। उसमें गर्व और झूठी शान होती है।
अपने आगे वह किसी को कुछ नहीं समझता है। गुस्से में वह कभी कभी अनर्थ कर बैठता है।
जानवर भी अपने मालिक के साथ प्रेम, सदभाव और समर्पण भाव रखते हैं। कुत्ते तो स्वामी
भक्त होते ही हैं परन्तु हिंसक जानवर भी भोजन देने वाले को नुकसान नहीं पहुंचाते है।
लेकिन मनुष्य को कृतघ्न बनते देर नहीं लगती। वह कब आपकी नाक काट ले, कहा नहीं जा
सकता।
क) मनुष्य के स्वभाव में क्या दोष मिलते है ?
ख) स्वार्थी मनुष्य अपने प्रियजनों के साथ कैसा व्यवहार करता है ?
ग) जानवरों में मनुष्यों की अपेक्षा क्या अच्छाई होती है ?
घ) स्वर्थी मनुष्य किस तरह नीचता कर सकता है ?
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