प्र03
प्र019 निम्नलिखित अपठित गद्यांश का पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए
04
हमें स्वराज्य अवश्य मिला परन्तु सुराज आज भी हमसे दूर है। कारण स्पष्ट है, देश को समृद्ध
बनाने उद्देश्य से कठोर परिश्रम करना न हम ने सीखा है, न सीखने के लिए ईमानदारी से उस
ओर उन्मुख ही है। श्रम का महत्व न हो हम जानते है, न मानते है। हमारी नस-नस में आराम तलबी
समाई है। हाथ से काम करने को हीनता समझते है। काचोरी के हमारा नाता घना है। कम से कम
काम करके अधिक से अधिक दाम पाने की दूषित मनोवृति राष्ट्र की आत्मा में घर कर गई है।
प्र01 उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
प्र02. 'सुराज' हमसे दूर क्यों है ?
लेखक ने किस दूषित मनोवृति की ओर संकेत किया है ?
प्र04 स्वराज्य सुराज में कब परिणित होगा ?
प्र020 निम्नलिखित अपठित पद्यांश का पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
04
मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने।
प्रश्न-(1) वनमाली से तोड़ की बात कौन कर रहा है ?
(2) पुष्प किस पथ पर जाना चाहता है ?
(3) पुष्प किस भूमि की बात कर रहा है ?
(4) पुष्प शब्द का पर्यायवाची शब्द लिखिए।
प्र021 स्थानान्तरण प्रमाण पत्र के लिए अपने प्राचार्य को आवेदन पत्र लिखिए।
Answers
Explanation:
हमें स्वराज अवश्य मिला परंतु सूरज आज भी हमसे दूर है कारण स्पष्ट है देश को समृद्ध बनाने उद्देश्य के कठोर परिश्रम करना ना हमने सीखा है ना सीखने के लिए ईमानदारी से उस ओर उन्मुख ही है श्रम का महत्व ना हो हम जानते हैं ना मानते हैं हमारी नस-नस में आरा में समाई हुई है हाथ से काम करने की क्षमता समझते हैं का चोरी के हमारा नाता घना है कम से कम
Answer:
उत्तर-
(1) शीर्षक ‘श्रम का महत्त्व’।
(2) सुराज हमसे इसलिए दूर है क्योंकि न हमने कठिन परिश्रम करना सीखा है और न सीखने का प्रयास कर रहे हैं। हमने श्रम के महत्त्व को स्वीकार नहीं किया है।
(3) कामचोरी से नाता जोड़ने वाले हम लोगों की कम से कम काम करके अधिक से अधिक दाम पाने की दूषित वृत्ति की ओर लेखक ने संकेत किया है।
(4) हम आज से कई गुना कठिन परिश्रम करेंगे तभी देश का विकास होगा। कठोर श्रम से ही समाज सुखी होगा और तब ही स्वराज्य सुराज में परिणित होगा।