प्र05- 'माता का आँचल' उपन्यास से लिए गए प्रस्तुत अंश के आधार पर बताइए कि तत्कालीन व वर्तमान
ग्रामीण संस्कृति में आपको क्या परिवर्तन दिखाई देते है तथा इन्होंने हमारे मूल्यों को कितना प्रभावित किया है?
उत्तर लगभग 150 शब्दों में लिखिए।
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Answer:
कृतिका & संचयनexcellup logo
शिवपूजन सहाय
माता का अंचल
प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
उत्तर: यह सही है कि इस कहानी में बच्चों का अपने पिता के साथ अधिक जुड़ाव दिखाया गया है। लेकिन बच्चे अपने पिता और माता को अलग-अलग नजरिये से देखते हैं। जब उन्हें अत्यधिक असुरक्षा की भावना घेर लेती है तो वे अपनी माँ से सहारे और सांत्वना की उम्मीद करते हैं। पिता से बच्चे बाहरी दुनिया के बारे में सीखने को अधिक उत्सुक रहते हैं। माँ ममता और स्नेह की मूर्ति मानी जाती है। शायद इसलिए वह बच्चा विपदा के समय अपनी माँ की शरण में जाता है।
आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
उत्तर: छोटे बच्चों में अक्सर ऐसा देखा जाता है। जब उनका कोई प्रिय खिलौना मिल जाता है तो वे तुरंत ही पिछला सब कुछ भूलकर अपने खेल में खो जाते हैं। अपने साथियों को देखकर भोलानाथ को जी भर कर खेलने का मौका मिल जाता था। इसलिए उन्हें देखकर भोलानाथ सिसकना भूल जाता था।
आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर: पुराने जमाने के लोग; जैसे कि मेरे दादा-दादी और नाना-नानी अक्सर हमें ऐसी तुकबंदियों के बारे में बताते हैं। अब तो मुझे तुकबंदी के नाम पर कुछ फिल्मी गीत या फिर मोगली वाला गीत, “जंगल जंगल पता चला है, चड्ढ़ी पहन के फूल खिला है।“ है याद है।
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर: भोलानाथ और उसके साथी अपने आस पास उपलब्ध साधारण से साधारण चीज को भी खिलौना बना लेते थे। मैं या तो अपने स्मार्टफोन पर कोई गेम खेलता हूँ या फिर अपने स्कूल में क्रिकेट और फुटबॉल खेलता हूँ। कभी-कभी अपनी गली में मैं अन्य बच्चों के साथ पिट्ठू खेलता हूँ। लेकिन हमें भोलानाथ और उसके साथियों की तरह पूरे दिन खेलने की आजादी नहीं मिल पाती है।
पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों।
उत्तर: इस पाठ के लगभग सभी प्रसंग दिल को छूने वाले हैं। भोलानाथ द्वारा बाबूजी के कंधे की सवारी। उसकी मइया द्वारा उसे तोता मैना के कौर बनाकर खिलाना, उसकी अपने बाबूजी के साथ कुश्ती, साँप के डर से भागकर उसका अपनी माँ के आँचल में छुप जाना; ये सब कुछ विशेष प्रसंग हैं।
इस उपन्यास के अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर: तीस के दशक को बीते हुए 70 साल हो गए हैं। यह एक लंबा अरसा होता है इसलिए बहुत कुछ बड़े पैमाने पर बदल चुका है। अब गाँव के बच्चे स्कूल जाते हैं; कुछ अत्यंत गरीब बच्चों को छोड़कर। हर गाँव में टीवी आ जाने के कारण अधिकतर बच्चे टीवी देखने में मशगूल रहते हैं। क्रिकेट गाँव गाँव में काफी लोकप्रिय है। कई घरों के बच्चे तो मोबाइल फोन पर उपलब्ध गेम का भी आनंद उठाते हैं। अब रामनामी लिखने वाले बाबूजी भी शायद ही मिलें।
यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: इस कहानी में लेखक ने माता-पिता के वात्सल्य का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया है। पिता सुबह तड़के उठ जाता है और अपने बच्चे में भी इसकी अच्छी आदत डालता है। वह रामायण के जरिए बच्चे को अपनी पुरातन संस्कृति की शिक्षा भी देता है। वह बच्चे को घुमाने भी ले जाता है और उसके साथ खेलता भी है। माँ अपने बच्चे के खान पान और सेहत का विशेष ध्यान रखती है। हर माँ की तरह उसे भी लगता है कि उसके बच्चे ने भर पेट खाया ही नहीं।
आज की ग्रामीण संस्कृति को देखकर और इस उपन्यास के अंश को पढ़कर ऐसा लगता है कि कैसी अच्छी रही होगी वह समूह-संस्कृति, जो आत्मीय स्नेह और समूह में रहने का बोध कराती थी। आज ऐसे दृश्य दिखाई नहीं देते हैं। पुरुषों की सामूहिक-कार्य प्रणाली भी समाप्त हो गई है। अतः ग्रामीण संस्कृति में आए परिवर्तन के कारण वे दृश्य नहीं दिखाई देते हैं जो तीस के दशक में रहे होंगे-