प्र06
"प्रेमी को प्रेमी मिलै, सब विष अमृत होई ' काव्यांश में विष और अमृत किसका प्रतीक हैं।
अथवा
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प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से श्री कबीर जी ने यह बताया है कि जब मनुष्य सच्चे मन से ईश्वर को ढूंढ लेता है तो मनुष्य के मन में जितने भी फिश रूपी भूरिया जितनी भी कुरीतियां होती है वह दूर हो जाती हो और उस मनुष्य के मन में अमृत समान अच्छी आदतें अच्छे गुण और अच्छी नीतियों के भाव उत्पन्न होjaate Hain
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