प्र07. निम्नलिखित पद्यांश को पढिए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए-
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।। प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि ।। काँकर पाथर जोरि कै मसजिद लई बनाय। ता चढि मुल्ला बाँग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय ।।
1) मै शब्द का क्या अर्थ है? इसके माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं ?
2) ईश्वर प्राप्ति के संदर्भ में कवि के क्या विचार है ?
3) कबीरदारा जी ने मुसलमानों की किस बुराई का उल्लेख करते हुए क्या कहा है ?
4) कबीरदास जी का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखते हुए यह भी बताइए कि समाज के विभिन् धर्मो एवं जातियों के लोगों की आलोचना करने के पीछे कवि का क्या उददेश्य था?
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कबीर दास जी कहते हैं, जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ, जब अहंकार (अहम) समाप्त हुआ तभी प्रभु मिले | जब ईश्वर का साक्षात्कार हुआ, तब अहंकार स्वत: ही नष्ट हो गया | ईश्वर की सत्ता का बोध तभी हुआ | प्रेम में द्वैत भाव नहीं हो सकता, प्रेम की संकरी (पतली) गली में केवल एक ही समा सकता है - अहम् या परम ! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है|
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