प्र2 बाढ़ आपदा आने के पाँच कारण लिखिए।
अथवा
भारत में भूस्खलन आपदा के क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
काग लिरि
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बाढ़ के कारण
सामान्यतः भारी वर्षा के बाद जब प्राकृतिक जल संग्रहण स्रोतों/मार्गों (Natural Water Bodies/Routes) की जल धारण करने की क्षमता का संपूर्ण दोहन हो जाता है, तो पानी उन स्रोतों से निकलकर आस-पास की सूखी भूमि को डूबा देता है। लेकिन बाढ़ हमेशा भारी बारिश के कारण नहीं आती है, बल्कि यह प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही कारणों का परिणाम है, जिन्हें हम कुछ इस प्रकार से वर्णित कर सकते हैं-
मौसम संबंधी तत्त्व: दरअसल, तीन से चार माह की अवधि में ही देश में भारी बारिश के परिणामस्वरूप नदियों में जल का प्रवाह बढ़ जाता है जो विनाशकारी बाढ़ का कारण बनता है। एक दिन में लगभग 15 सेंटीमीटर या उससे अधिक वर्षा होती है, तो नदियों का जलस्तर खतरनाक ढंग से बढ़ना शुरू हो जाता है।
बादल फटना: भारी वर्षा और पहाड़ियों या नदियों के आस-पास बादलों के फटने से भी नदियाँ जल से भर जाती हैं।
गाद का संचय: हिमालय से निकलने वाली नदियाँ अपने साथ बड़ी मात्रा में गाद और रेत लाती हैं। वर्षों से इनकी सफाई न होने कारण नदियों का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है, जिससे आस-पास के क्षेत्रों में पानी फ़ैल जाता है।
मानव निर्मित अवरोध: तटबंधों, नहरों और रेलवे से संबंधित निर्माण के कारण नदियों के जल-प्रवाह क्षमता में कमी आती है, फलस्वरूप बाढ़ की समस्या और भी गंभीर हो जाती है। वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आई भयंकर बाढ़ को मानव निर्मित कारकों का परिणाम माना जाता है।
वनों की कटाई: पेड़ पहाड़ों पर मिट्टी के कटाव को रोकने और बारिश के पानी के लिये प्राकृतिक अवरोध पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।