प्र2.निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
हँस लो दो क्षण खुशी मिली गर,
उगता-लता रहता सूरज,
वरना जीवन-भर क्रंदन है।
किसका साथी नील गगन है।
किसका जीवन हँसी-खुशी में,
यदि तुमको मुसकान मिली तो
इस दुनिया में रहकर बीता ?
मुसकाओ सबके संग जाकर
सदा-सर्वदा संघर्षों को,
यदि तुमको सामर्थ्य मिला तो
इस दुनिया में किसने जीता ?
थामो सबको हाथ बढ़ाकर
खिलता फूल म्लान हो जाता
झाँको अपने मन-दर्पण में
हँसता-रोता चमन-चमन है।
प्रतिबिंबित सबका आनन है।
कितने रोज चमकते तारें।
कितने रह-रह गिर जाते हैं ?
हँसता शशि भी छिप जाता,
जब सावन-घन घिर आते हैं।
(क) कवि दो eण के लिए मिली खुशी पर हँसने के लिए क्यों कह रहा है ?
(ख) कविता में संसार की किस वास्तविकता को प्रस्तुत किया गया है?
(ग) व रपष्ट कीजिए. “को अपने मन दर्पण में प्रतिबिंबित सबका आनन है।"
(घ) संघर्ष, साम ( का वर्ण-विछेद कीजिए)
(च) काव्यांश के लिए उपयुत शीर्षक लिखिए।
Answers
Kavyansh Ka uchit shivashtak Hai haslo dushan Jab tak Khushi Mili Hai
Answer:
क) जीवन में बहुत आपदाएँ हैं। अत: जब भी हँसी के क्षण मिल जाएँ तो उन क्षणों में हँस लेना चाहिए। कवि इसलिए कहता है जब अवसर मिले हँस लेना चाहिए। खुशी मनानी चाहिए।
(ख) कविता में बताया गया है कि संसार में सब कुछ नश्वर है।
(ग) धरती का कण-कण गाथा सुनाता आ रहा है कि आसमान को छूने वाली ऊँची-ऊँची दीवारें एक दिन मिट्टी में मिल जाती हैं। सभी सहारे दूर हो जाते हैं। अत: यदि समय है तो सबके साथ मुस्कराओ और यदि सामथ्र्य है तो सबको सहारा दो।
(घ) यहाँ कवि का अभिप्राय है कि यदि अपने मन-दर्पण में झाँककर देखोगे तो सभी के एक-समान चेहरे नजर आएँगे अर्थात् सभी एक ईश्वर के ही रूप दिखाई देंगे।
(ङ) ‘उगता-ढलता रहता सूरज’ के माध्यम से कवि ने कहना चाहा है कि जीवन में समय एक-सा नहीं रहता है। अच्छे-बुरे समय के साथ-साथ सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।