प्र2 निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़-गढ़ काढ़े खोट।
अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।
जाको राखे साइयाँ, मारि न सक्कै कोय।
बाल न बाँका करि सके, जो जग बैरी होय।।
नैनों अंतर आव तू, नैन झाँपि तोहिं लेवें।
ना मैं देखौं और को, ना तोहि देखन देव।।
लाली मेरे लाल की, जित देखों तित लाल।
लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल।।
कति ।
आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) साइयाँ कहा गया है
ii) पद्यांश में प्रयुक्त मुहावरा likhia
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Answer:
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निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़-गढ़ काढ़े खोट।
अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।
जाको राखे साइयाँ, मारि न सक्कै कोय।
बाल न बाँका करि सके, जो जग बैरी होय।।
नैनों अंतर आव तू, नैन झाँपि तोहिं लेवें।
ना मैं देखौं और को, ना तोहि देखन देव।।
लाली मेरे लाल की, जित देखों तित लाल।
लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल।।
कति ।
आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) साइयाँ कहा गया है
ii) पद्यांश में प्रयुक्त मुहावरा likhia