प्र2. दी हुई अधूरी कहानी को अपनी कल्पनाशीलता से पूर्ण
कीजिए।
सावन का महीना था। आकाश में काले बादल
छाए हुए थे। ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी। ऐसे
में कुछ ऋषि वन के मार्ग से चले जा रहे थे। उनके
हाथों में कमंडल व होठों पर भगवान का नाम था।
अचानक जंगल में सन्नाटे को चीरती हुई एक कड़कदार
आवाज़ सुनाई दी।
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hi boys this question have not answered sorry boys and girls for giving the answer
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और वह डर गये और उन्होंने आगे चलकर देखा तो उन्हें एक चमकता हुआ श्वेत वस्त्र पहने हुए एक मानव दिखाई दिया वह डर कर सचेत होकर उसे एक टक देखते रहे तभी एक आवाज आई मुझसे डरो मत मैं तो तुम्हारे तप से बहुत खुश हूँ और मैं तुम सभी की आराधना भक्ति की वजह से यहां तुम्हारे पास तुमसे मिलने आया हूँ।
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