पूरब का प्रलय पंथी कौन है
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पूरब का प्रलय पंथी सूरज है।
व्याख्या :
कवि माखनलाल चतुर्वेदी अपनी कविता ‘मुक्त गगन है, मुक्त पवन है’ में सूरज को पुकारते हुए कहते हैं किय
ओ पूरब के प्रलय पंथी, ओ जग के सेनानी,
होने दे भूकंप कि तूने, आज भृकुटियाँ हैं तानी।
अर्थात के पूरब के प्रलय पंथी यानि सूरज तू ही जग का सेनानी है। आज तू ही धरती पर भूकंप आने दे क्योंकि तूने अपनी गर्मी से चारों तरफ कहर मचा रखा है। कहीं तेरी इस गर्मी से धरती पर प्रलय ना आ जाए।
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