प्रबंध काव्य के कितने प्रकार होते हैं
Answers
प्रबंध काव्य के अंतर्गत महाकाव्य, खंडकाव्य और आख्यान नीतियाँ आती है। काव्य के मुख्यतः दो भेद होते हैं। श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य।
Answer:
प्रबंध काव्य के तीन प्रकार होते हैं:
गद्य प्रबंध काव्य: इसमें वाक्य और पंक्ति की बदलाव के बजाय लेखक अपने विचारों को सीधे शब्दों में व्यक्त करता है। यह एक सामान्य और साधारण तरीका होता है जो लेखक के अनुभव, विचारों, उपलब्धियों आदि को व्यक्त करता है।
पद्य प्रबंध काव्य: इसमें लेखक वाक्य और पंक्ति के साथ रचना करता है। यह विशेष रूप से सुंदर और शायराना होता है जो लेखक के अभिव्यक्ति को आकर्षक बनाता है।
छंद प्रबंध काव्य: इसमें छंद, अर्थ, वाक्य और पंक्ति का ध्यान रखा जाता है। इसके लिए लेखक को छंद, अलंकार, समास, विराम आदि के ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह एक शास्त्रीय तरीका होता है जो कठिन होता है, लेकिन यह रचनाकार के कला और विद्वत्ता को दिखाता है।
Explanation:
काव्य के भेद दो प्रकार से किए गए हैं–
स्वरूप के अनुसार काव्य के भेद
शैली के अनुसार काव्य के भेद
स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं -
श्रव्यकाव्य
दृष्यकाव्य।
श्रव्य काव्य- जिस काव्य का रसास्वादन दूसरे से सुनकर या स्वयं पढ़ कर किया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। जैसे रामायण और महाभारत। श्रव्य काव्य के भी दो भेद होते हैं -
प्रबन्ध काव्य
मुक्तक काव्य
प्रबंध काव्य-
इसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस।
प्रबंध काव्य के दो भेद होते हैं -
महाकाव्य
खण्डकाव्य
1- महाकाव्य इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है।
2- खंडकाव्य इसमें किसी की संपूर्ण जीवनकथा का वर्णन न होकर केवल जीवन के किसी एक ही भाग का वर्णन होता है।
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