प्रबंध निरंतर कार्य एवं पारस्परिक कार्यों की श्रृंखला है I विवेचना कीजिए I
Answers
"प्रबंध निरंतर कार्य एवं पारस्परिक कार्यों की श्रृंखला है जिसमे से प्रत्येक दूसरों के प्रयासों का मार्गदर्शन करने के लिए किया जाता है
नियोजन- यह पहले से ही यह निर्धारित करने का कार्य है कि क्या करना है, किस प्रकार तथा किसको करना है। इसका अर्थ है उद्देश्यों को पहले से ही निश्चित करना एवं दक्षता से एवं प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए मार्ग निर्धारित करना।
संगठन- यह लोगों के बीच औपचारिक संबंधों को परिभाषित करने और वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रक्रिया है| शामिल करता है
1-कार्य की पहचान एवं विभाजन
2- विभाग बनाना
3- कार्यों का वितरण
4- वरिष्ठ अधिकारी सुनिश्चित करना
नियुक्तिकरण - संगठन के उद्देश्य केवल मानव संसाधन के प्रयासों के द्वारा प्राप्त किए जा सकते हैं यह प्रबंधन का दायित्व है कि उसके पास उपलब्ध सभी संसाधनों का पूर्ण प्रयोग किया जाए इस प्रकार उचित संसाधनों को उचित समय पर उपलब्ध करा अति आवश्यक है|
निदेशन- निदेशन का अर्थ किसी कार्य को करने के लिए मार्गदर्शित करना है की कोई भी कार्य कैसे होगा| प्रबंध में निदेशन कर्मचारीओ के लिए काफी महत्वपूर्ण है ये उनको निर्देशित करता है की कोई भी कार्य कैसे किया जाए|
नियंत्रण- नियंत्रण लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अति आवश्यक है इसमें यह देखा जाता है कि सभी कार्य योजना के अनुसार हो रहे हैं या नहीं और यदि कहीं मतभेद पाया जाता है तो उसको दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं|
"
Explanation:
Explanation:
बोनी जातियों के पौधों के तनों की लंबाई में वृद्धि करना 2 यह बिजो की प्रस्तुति को तोड़कर उसके अंकुरण में मदद करता है 3 बीज रहित फल के निर्माण में सहायक से 500 गुना सहायक
Or
- कोशिका विभाजन को प्रेरित करना जिर्णता का निलंबन करना बीज प्रसूता को तोड़ना