प्रभुजी तुम चंदन हम पानी ।
जाकी अंग अंग बास समानी ।
प्रभुजी तुम घन बन हम मोरा ।
जैसे चितवत् चंद चकोरा ।
प्रभुजी तुम दीपक हम बाती ।
जाकी जोति बरै दिन-राती ।
प्रभुजी तुम मोती हम धागा ।
जैसे सोनहिं मिलत सुहागा ।
प्रभुजी तुम स्वामी हम दासा ।
ऐसी भक्ति करै रैदासा ।
निम्न लिखित प्रश्नो के उतर दिजिये
1.भक्त दीपक बनकर क्या चाहता है?
2.सोने का महत्व कब बढ़ता है?
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1.भक्त प्रभुजी से ज्योति बन कर दिन रात उन्हें रास्ता दिखाने को कहते हैं|
2. सोने का महत्व तब बढ़ता है जब प्रभुजी र्मिले तो भक्त धागे में डाल कर अपने पास रखते हैं।
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