प्रभुजी.तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी।
प्रभुजी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहि मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।।
पद
(1)
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
(2)
छत्रु धरै ॥
पर तुहीं ढहै।
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करे।
गरीब निवाजु गुसईआ
मेरा माथै
जाकी छोति
जगत कउ लागैता
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरी।
नामदेव कबीरु
कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै।।
तिलोचनु
सधना सैनु त।
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Nice sister you are right
so love you
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A force is a push or pull upon an object resulting from the object's interaction with another object. Whenever there is an interaction between two objects, there is a force upon each of the objects.
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