प्रभु जी तुम चंदन हम पानी जाकी अंग-अंग बास समानी किस संत कवि की पत्तियां है
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यह बात अनिरुद्ध सिंह सेंगर ने कही
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रविदास जी ने कर्म को महत्ता दी है, तभी कठौती में गंगा जैसी कहावत प्रचलन में आई। उनका यह पद 'प्रभु जी तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी' भक्त का अनुपम चित्र निरूपित करता है। वे लोक के कवि है। यह बात अनिरुद्ध सिंह सेंगर ने कही।
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Sorry I don't Understand Hindi
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Ask in English pls let me answer
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