प्रभु जी तुम चंदन हम पानी जाकी अंग-अंग बास समानी प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा जेसे चित्वत चंद चकोरा. Explain
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यह पत्तियां निर्गुण भक्ति धारा के कवि संत रविदास (रैदास) द्वारा रचित हैं ।
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