“प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी” काव्य सार्थकता सिद्ध कीजिए।
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हे भगवान, तुम चन्दन जैसे बहु मूल्यवान, खुशबूदार , सब के प्रिय हो | हम लोग पानी जैसे हैं|
Jai mata Di..!
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