प्रभु के दिए हुए सुख इतने
हैं विकीर्ण धरती पर
भोग सकें जो उन्हें जगत में,
कहाँ अभी इतने नर?
सब हो सकते तुष्प, एक सा
सब सुख पा सकते हैं
चाहें तो पल में धरती को
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wow this is the great naturalistic poet in my ever life
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