प्रभु ने तुझको कर दान किए.
सब वांछित वस्तु विधान किए।
तुम प्राप्त करो उनको न अहो.
फिर है किसका यह दोष कहो।
समझो न अलभ्य किसी धन को.
नर हो न निराश करो मन को।
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यहां कवि कहता है कि , प्रभु ने
तुमको यह वस्तु , जीवन दान किया
है उसको तुम इस्तेमाल करो ।
क्यूंकि अगर तुम उसको प्राप्त
नहीं करते तो यह केवल तुम्हारी
गलती है। है मनुष्य तुम अपने
हृदय को निराश मत करो ।
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