Hindi, asked by sathvik87, 8 months ago

प्रभु ने तुझको कर दान किए.
सब वांछित वस्तु विधान किए।
तुम प्राप्त करो उनको न अहो.
फिर है किसका यह दोष कहो।
समझो न अलभ्य किसी धन को.
नर हो न निराश करो मन को।

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Answered by hemantkumar1977gk
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यहां कवि कहता है कि , प्रभु ने

तुमको यह वस्तु , जीवन दान किया

है उसको तुम इस्तेमाल करो ।

क्यूंकि अगर तुम उसको प्राप्त

नहीं करते तो यह केवल तुम्हारी

गलती है। है मनुष्य तुम अपने

हृदय को निराश मत करो ।

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