Hindi, asked by digvijay6d, 4 months ago

प्रभु ने तुमको कर दान किए, सब वांछित वस्तु विधान किए। पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए​

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Answered by shishir303
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प्रभु ने तुमको कर दान किए, सब वांछित वस्तु विधान किए।

✎... ‘प्रभु ने तुमको कर दान किए, सब वांछित वस्तु विधान किए’, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित कविता ‘नर हो ना निराश करो मन को’ की इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि इस ईश्वर ने हमको जीवन में मनचाही वस्तुओं को प्राप्त करने का पूरा अवसर प्रदान किया है।  लेकिन फिर भी तुम अपनी मनोवांछित वस्तुओं को प्राप्त नहीं कर पाते हो तो उसके लिए तुम्हारी कर्म हीनता का दोष है, क्योंकि किसी भी वांछित वस्तु को प्राप्त करने के लिए उचित श्रम और उचित कर्म की आवश्यकता होती है। बिना उचित श्रम और कर्म के बिना कोई भी मनचाहा फल प्राप्त नहीं होता।  

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