Hindi, asked by vishnu32gupta, 8 months ago

प्रभात बचपन से ही सुनता आया था कि भाग्य से ज्यादा कर्म पर विक्षाम होना चाहिए पं२तु प्रभात भाग्य को अधिक मानता था । अगले महीने से उसकी वार्षिक परिक्षाए आं२भ होने वालि थी ______ kavita puri kaeo 100 shabd takh

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Answered by palakbaghel280
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Answer:

उसने सोचा पड़ने कि क्या जरुरत ह ।जो भाग्य मे ह वो मिलेगा ही ।तो क्यो पडना।और उसने किसी भी विसय कि पडाई नही कि ।फ़िर वह स्कूल चला गया परिच्छआ देने ।सरि परिच्छा दिला लि।जब पडिणं आया तो वो फेल फो गया था ।वा बहुत रोआ ।और सोचा कोसिस करो भाग्य से ज्यादा मिलेगा।

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