Hindi, asked by alkamishra1270, 9 months ago

'प्रभो! विपत्तियों से रक्षा करो'
यह प्रार्थना लेकर मैं तेरे द्वार पर नहीं :
'विपत्तियों से भयभीत न होऊँ
यही वरदान दे!
अपने दुख से व्यथित चित्त को
सांत्वना देने की भिक्षा नहीं माँगता;
'दुखों पर विजय पाऊँ
यही आशीर्वाद दे–यही प्रार्थना है!
तेरी सहायता मुझे न मिल सके तो भी
यह वर दे कि
करके अवश न ब​

Answers

Answered by vikasbarman272
0

पूरा प्रश्न : दी गई पंक्तियों का भावार्थ लिखिए l

उत्तर : कविता का भावार्थ :- यह पंक्तियां विपत्तियों से रक्षा कर नामक कविता से ली गई है l इस कविता के कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर है l

कविता में कवि विपत्तियों से छुटकारा पाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना नहीं करता, अपितु उन विपत्तियों का निडरता से सामना करने की शक्ति माँगता है। वह जीवन की सुख-दुःख दोनों ही परिस्थितियों में समान रूप से ईश्वर से जुड़ा रहना चाहता है। कवि दुखों का बोझ उठाना चाहता है, उससे मुक्ति नहीं चाहता। वह प्रभु से केवल यही विनती करता है कि वह दुःख में प्रभु पर संदेह न करे। संघर्षमय जीवन ही जीवन की सार्थकता है।

  • इस कविता में कष्टों को सहने की शक्ति देने की प्रार्थना की गई है, कष्टों से छुटकारा पाने की नहीं। यहां ईश्वर पर आस्था बनी रहती है, मेहनती बने रहने की कामना की गई है l

For more questions

https://brainly.in/question/17212672

https://brainly.in/question/55520590

#SPJ1

Similar questions