प्रभाव पड़ा। मन-ही-मन मैने ठान लिया कि में भी श्रवण की तरह बनूंगा।
2 गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
एक बार मेरे पिताजी श्रवण की पितृभक्ति' नामक पुस्तक खरीद कर लाये। मैंने उसे बड़े चाव
से पढ़ा। उन दिनों बाइस्कोप में तस्वीर दिखानेवाले लोग आया करते थे। तभी मैंने अपने माता-पिता को
वहंगी पर बिठाकर ले जानेवाले श्रवण कुमार का चित्र भी देखा। इन बातों का मेरे मन पर बहुत गहरा
मैंने ‘सत्य हरिश्चंद्र' नाटक भी देखा था। बार-बार उसे देखने की इच्छा होती। हरिश्चंद्र के सपने
आते। यह बात मेरे मन में बैठ गयी। चाहे हरिश्चंद्र की भाँति कष्ट क्यों न उठाना पड़े, पर सत्य को कभी
नहीं छोड़ना चाहिए।
। सेवाभाव की प्रेरणा महात्मा गाँधी को कैसे मिली?
प्रश्न
2 सत्य की प्रेरणा महात्मा गाँधी को किससे मिली?
3. इस गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होगा?
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bshdhsjd ND I u too babe I you and I was just of you and I don't want to be with me to do it again for your birthday and I don't have any questions or if I don't want to go in the morning and then you will get rid of the day off today but you can get it from the store to pick up my phone and it will be here in a few weeks ago but I'm going to the store and get it at work now
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