Hindi, asked by atiqurdj5716, 10 months ago

‘प्रबल शत्रु-दल से आक्रान्त दुर्ग में बैठना राजकुमारी के लिए एक विनोद था।’ इस कथन को समझाइये।

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Answered by RvChaudharY50
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Answer:

जैसलमेर की राजकुमारी अबला नहीं, बल और साहस से परिपूर्ण मर्दानी , स्त्री थी। वह दुर्ग के किसी बुर्ज पर अपनी सखियों के साथ चढ़ जाती और शत्रु सेना का मजाक उड़ाती हुई वहाँ से सनसनाते हुए तीरों की वर्षा कर देती थी।

वह निडर होकर अपने दुर्ग में बैठी हुई शत्रुओं के दाँत खट्टे कर देती थी। वह कहती ‘मैं स्त्री हूँ, पर अबला नहीं, मुझ में मर्दो जैसा साहस और बल है। उसकी बातें सुनकर उसकी सखियाँ ठहाका लगाकर हँसतीं और शत्रुओं की हँसी उड़ातीं।

इस प्रकार शक्तिशाली शत्रुओं से घिरे हुए दुर्ग में बैठना राजकुमारी के लिए विनोद था।

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