Science, asked by Chinkoo5855, 10 months ago

प्रगलन पर टिप्पणी लिखिए ।

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Answered by pandeymahak7744
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Explanation:

प्रगलन (Smelting) एक प्रकार की निष्कर्षण धातुकर्मिकी है। अयस्क से धातु बनाने के लिये मुख्यतः इसका उपयोग किया जाता है। चाँदी, लोहा, ताँबा आदि इस विधि से निर्मित होते हैं। प्रगलन की तकनीक आज से कोई आठ हजार वर्ष पूर्व से उपयोग में लायी जा रही है। फिर भी प्रगलन को एक उच्च तकनीकी उपलब्धि माना जाता है। प्रगलन की प्रक्रिया में भूनना (रोस्टिंग), अपचयन तथा गन्दगी को फ्लक्स के रूप में धातु से अलग करना शामिल है।

Answered by Anonymous
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प्रगलन (Smelting) एक प्रकार की निष्कर्षण धातुकर्मिकी है। अयस्क से धातु बनाने के लिये मुख्यतः इसका उपयोग किया जाता है। चाँदी, लोहा, ताँबा आदि इस विधि से निर्मित होते हैं। प्रगलन की तकनीक आज से कोई आठ हजार वर्ष पूर्व से उपयोग में लायी जा रही है। फिर भी प्रगलन को एक उच्च तकनीकी उपलब्धि माना जाता है। प्रगलन की प्रक्रिया में भूनना (रोस्टिंग), अपचयन तथा गन्दगी को फ्लक्स के रूप में धातु से अलग करना शामिल है।

अयस्क के प्रगलन के फलस्वरूप धातु प्राप्त होती है वह तत्त्व के रूप में होती है या धातु के सरल यौगिक के रूप में। प्रायः अयस्क को किसी आक्सीकारक (जैसे वायु) या किसी अपचयक (जैसे कोक) की उपस्थिति में गलनांक से अधिक ताप तक गरम किया जाता है। अनुमान किया जाता है कि सबसे पहले ताँबे का प्रगलन ५००० ईसापूर्व किया गया था। उसके बाद टिन, सीसा और चाँदी का प्रगलन हुआ। चूँकि प्रगलन के लिये उच्च ताप (गलनांक से अधिक ताप) की आवश्यकता होती है, इसके लिये भट्टियों में तेज वायु का झोंका (प्रवात/draught) भेजा जाता है। ईँधन एके रूप में चारकोल का उपयोग किया जाता था जो १८वीं शताब्दी में कोक के आने तक जारी था। आज वात्या भट्ठी (ब्लास्ट फरनेस) इस काम को अत्यन्त दक्षतापूर्वक करती है।

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