प्रगतिवादी काव्य का मूलाधार है- *
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गांधी दर्शन
मार्क्सवादी दर्शन
अरविन्द दर्शन
टैगोर दर्शन
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प्रगतिवादी काव्य का मूलाधार मार्क्सवादी दर्शन है पर यह मार्क्सवाद का साहित्यिक रूपांतर मात्र नहीं है।प्रगतिवादी आंदोलन की पहचान जीवन और जगत के प्रति नये द्रष्टिकोण में निहित है। नारी पर हर तरह के अत्याचार का विरोध; साहित्य का लक्ष्य सामाजिकता में मानना आदि।
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मार्क्सवादी दर्शन
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