Hindi, asked by dalbajrang38, 3 months ago

प्रगतिवादी काव्य का परिचय दीजिए ​

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Answered by floatingheart01
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प्रगतिवादी काव्य धारा का समय (समय-सीमा) 1936 से 1943 ई. तक माना गया है। सन् 1934 ई. में गोर्की के नेतृत्व में रूस में ‘सोवियत लेखक संघ’ की स्थापना हुई। यह विश्व का पहला लेखक संगठन था। सन् 1935 ई. में हेनरी बारबूस की पहल पर पेरिस में एक अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ फारेस्टर जिसके अध्यक्ष थे। ई. एम. फारेस्टर ने ही 1935 ई. में ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ (Progressive Writer’s Association) की स्थापना की। इसी वर्ष मुल्कराज आनन्द, सज्जाद जहीर, ज्योति घोष, के. एम. भट्ट, हीरेन मुखजी, एस. सिन्हा और मोहम्मद्दीन तासीन ने भारत की तरफ से सर्वप्रथम इंग्लैण्ड (जुलाई 1935 ई.) में ‘भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ’ का गठन किया।

भारत में प्रगतिवाद का पहला अधिवेशन 1936 ई. में लखनऊ में हुआ, जिसके प्रथम अध्यक्ष/ सभापति प्रेमचंद थे। इस अधिवेशन के समय से हिन्दी में प्रगतिवादी आन्दोलन की शुरुआत और स्थापना होती है। दूसरे अधिवेशन का सभापतित्व रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने किया था।

Answered by Anonymous
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Explanation:

प्रगतिवाद वैसी साहित्यिक प्रवृत्ति है जिसमें एक प्रकार की इतिहास चेतना, सामाजिक यथार्थ दृष्टि, वर्ग चेतन विचारधारा, प्रतिबद्धता या पक्षधरता, गहरी जीवनासक्ति, परिवर्तन के लिए सजगता और एक प्रकार की भविष्योन्मुखी दृष्टि मौजूद हो। प्रगतिवादी काव्य एक सीधी-सहज-तेज प्रखर, कभी व्यंग्यपूर्ण आक्रामक काव्य-शैली का वाचक है।

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