Hindi, asked by rashmirekha180, 10 months ago

पुरइनि पात’ में पात शब्द का क्या अर्थ है ?​

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Answered by shishir303
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‘पुरइन पात’ में ‘पात’ का अर्थ है, पत्ता।

सूरदास ने पुरइन पात कमल के पत्ते के लिए कहा है।

सूरदास अपने काव्य की पंक्तियों में कहते हैं,

उधौं , तुम हो अति बड़भागी।

अपरस रहत सनेह तगा तैं , नाहिन मन अनुरागी।

पुरइनि पात रहत जल भीतर , ता रस देह न दागी।

अर्थात गोपियां उद्धव से कहती हैं कि हे उद्धव! आप बड़े भाग्यशाली हो, जो आप कृष्ण के पास रहकर भी उनके प्रेम से निर्लिप्त हो अर्थात आप पर कृष्ण के प्रेम का जरा भी असर नहीं हुआ। हम इसे आपका सौभाग्य कहें या अभाग्य, पता नहीं। आप बिल्कुल कमल के पत्ते के समान हो। जिस तरह कमल का पत्ता जल में रहकर भी जल से निर्लिप्त रहता है और जल का उस पर कोई असर नहीं होता. उसी तरह आप भी कृष्ण के पास रहकर भी कृष्ण के प्रेम का आप पर कोई असर नहीं हुआ।

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Answered by varmaram457
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Answer:

Puri yani patrakaarth hai kya hai

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