पारजीनी जीवाणु क्या है? किसी एक उदाहरण द्वारा सचित्र वर्णन करो।
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जब किसी इच्छित लक्षण वाली जीन (gene) को जीवाणु के जीनोम में प्रविष्ट कराकर कोई उत्पादन प्राप्त किया जाता है तो विदेशी जीन युक्त जीवाणु को पारजीनी जीवाणु (transgenic bacteria) कहते हैं। उदाहरण – मानव इन्सुलिन आनुवंशिक प्रौद्योगिकी के द्वारा तैयार किया गया है। इन्सुलिन दो छोटी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाओं का बना होता है, श्रृंखला ‘ए’ व श्रृंखला ‘बी’ जो आपस में डाइसल्फाइड बन्धोंद्वारा जुड़ी होती हैं। मानव इन्सुलिन में प्राक् हॉर्मोन संश्लेषित होता है जिसमें पेप्टाइड-सी’ होता है। यह पेप्टाइड ‘सी’ परिपक्व इन्सुलिन में नहीं पाया जाता, यह परिपक्वता के समय इन्सुलिन से पृथक् हो जाता है। सन् 1983 में मानव इन्सुलिन की श्रृंखला ‘ए’ और ‘बी’ के अनुरूप दो डी०एन०ए० अनुक्रमों को तैयार किया गया जिसे ई० कोलाई के प्लाज्मिड (plasmid) में प्रवेश कराकर इन्सुलिन श्रृंखलाओं का उत्पादन किया गया। इन अलग-अलग निर्मित श्रृंखलाओं ‘ए’ और ‘बी’ को निकालकर डाइसल्फाइड बन्ध (disulphide bonds) द्वारा आपस में संयोजित कर मानव इन्सुलिन को तैयार किया गया। इन्सुलिन डायबिटीज को नियन्त्रित करने के लिए एक उपयोगी औषधि है। इन्सुलिन के जीन की क्लोनिंग करने का श्रेय भारतीय मूल के डॉ० शरण नारंग (Dr. Saran Narang) को जाता है। इन्होंने अपना प्रयोग कनाडा के ओटावा (Ottava) में किया था।
पारजीनी जीवाणु :
ऐसे जीवाणु जिनके डीएनए में बाहर से अतिरिक्त वाह्य जीन को प्रवेश कराया जाता है। वह पारजीनी जीवाणु कहलाते हैं।
उदाहरण :
पारजीनी ई. कोलाई से ह्मूमूलिन (मानव इंसुलिन) आनुवंशिक अभियांत्रिकी द्वारा बनाया जाता है। इंसुलिन अणु में दो छोटी पेप्टाइड की श्रृंखलाएं A व B पाई जाती है। डीएनए अनुक्रम जो श्रृंखला A व B के समक्ष होते हैं, उन्हें प्लाजि्मड की सहायता द्वारा ई. कोलाई में स्थानांतरित कराया जाता है, जिसमें इंसुलिन की श्रंखला में निर्मित हो जाती है।
अब इन श्रृंखलाओं को ई. कोलाई से प्राप्त करके डाईसल्फाइड बंध द्वारा जोड़कर इंसुलिन अणु निर्मित कर लिया जाता है । इस प्रकार अनुवांशिकी अभियंत्रिकी के प्रयोग द्वारा पारजीनी जीवाणु बनाते हैं, जिनका डायबिटीज के निदान हेतु इंसुलिन का व्यापक उत्पादन किया जाता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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