प्रजातंत्र क्या है और इसकी विसेस्ताय क्या है
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आपका ये प्रश्न राजनीति विज्ञान से संबंधित है इसलिए राजनीति विज्ञान के जनक को बताना जरूरी है, राजनीति विज्ञान के जनक अरस्तू को माना जाता है।
शब्द व्युत्पत्ति के आधार पर प्रजातंत्र आंगल भाषा के डेमोक्रेसी का हिंदी रूपांतरण है। डेमोक्रेसी, दो यूनानी शब्दों के जोड़ से बना है - डेमोस तथा क्रेशिया। डेमोस का अर्थ “लोग” तथा क्रेशिया का अर्थ “सरकार” है। इस प्रकार प्रजातंत्र का 'लोगो का शासन' है।
कई राजनीतिज्ञो ने प्रजातंत्र की परिभाषा को अपने शब्दो में बताया है। जैसे - ब्राईस , सीले, अब्राहम लिंकन इत्यादि। यहां पर हम अब्राहम लिंकन की परिभाषा को बताने जा रहे हैं -
अब्राहम लिंकन - “लोकतंत्र जनता का , जनता के लिए, जनता का शासन है। “
अब्राहम का कहना है कि ‘लोकतांन्त्रिक आदर्श में यह धारणा सन्निहित है कि मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है जो कार्य करने के सिद्धान्तों का निर्णय करने और अपनी निजी इच्छाओं को उन सिद्धान्तों के अधीनस्थ बनाए रखने में समर्थ है। वास्तव में यह धारणा अपने आप में बड़ी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि व्यक्ति विवेक की पुकार नहीं सुनेंगे तो लोकतंत्र एक स्थायी शासन प्रणाली कभी नहीं बन सकेगी।
लोकतंत्र में हर व्यक्ति को राजनीतिक स्वतंत्रता रहती है। वह अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी दल का सदस्य बन सकता है तथा किसी भी व्यक्ति को अपने प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित करने के लिए मत दे सकता है। राजनीतिक स्वतंत्रता की व्यावहारिकता ही प्रतियोगी राजनीति कही जाती है। राजनीतिक व्यवस्था में प्रतियोगी राजनीतिक के लिए यह आवश्यक है कि अनेक संगठन, दल व समूह, प्रतियोगी रूप में उस व्यवस्था में सक्रिय रहें।
आधुनिक युग में लोकतंत्री संस्थाओं का प्रारंभ इंग्लैंड से हुआ। बाद में यह अमरीका, फ्रांस, भारत आदि देशों में फैल गया। वर्तमान काल में इंग्लैंड, अमरीका, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, भारत आदि देशों में प्रचलित लोकतंत्र को उदारवादी लोकतंत्र कहते हैं, जबकि चीन, क्यूबा, उत्तरी कोरिया वा अन्य साम्यवादी देशों में जो शासन प्रणाली स्थापित है उसे जनवादी लोकतंत्र कह कर पुकारा गया।
लोकतांत्रिक देश सामान्य तौर पर एक-दूसरे से युद्ध नहीं करते, अपनी सीमाओं के भीतर भी गृहयुद्ध जैसी स्थितियों का सामना नहीं करते। लोकतंत्र के बहुत सारे फायदे हैं जनता के लिए - जैसे कोई भी व्यक्ति अपना वकील खुद बन सकता है।
लोकतंत्र को अगर गहराई में जानना है तो आपको और बहुत सारी चीजे किताब से पढ़नी होगी जो लगभग ३०-३५ पेजस में है - जैसे लोकतंत्र के प्रकार, लोकतंत्र के विभिन्न रूप, लोकतंत्र का अभिजन वादी सिद्धांत, बहुलवादी सिद्धांत, जनवादी लोकतंत्र की अवधारणा ( श्रमिको की तानाशाही ही जनवादी लोकतंत्र है।)