Hindi, asked by ateebmohammad1, 6 months ago

प्रजातंत्र शासन व्यवस्था के लिए किस प्रकार कार्यकारी है भेड़ और भेड़िया कहानी के आधार पर चुनाव में प्रचार की भूमिका स्पष्ट कीजिए(approx 400 word)​

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Answered by monikasharmaa447
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-क्रिया की | उनके घर के पास जो हड्डियों का ढेर लगा है, उसके दान की घोषणा उन्होंने आज सवेरे ही की | अब तो वह सर्वस्व त्याग चुके हैं | अब आप उनसे भय मत करें | उन्हें अपना भाई समझें | बोलो सब मिलकर, संत भेड़िया जी की जय !”

भेड़िया जी अभी तक उसी तरह गर्दन डाले विनय की मूर्ती बने बैठे थे |बीच में कभी-कभी सामने की ओर इकट्ठी भेड़ों को देख लेते और टपकती हुई लार को गुटक जाते |

बूढा सियार फिर बोला, “ भाइयों और बहनों, में भेड़िया संत से अपने मुखारविंद से आपको प्रेम और दया का सन्देश देने की प्रार्थना करता पर प्रेमवश उनका हृदय भर आया है, वह गदगद हो गए हैं और भावातिरेक से उनका कंठ अवरुद्ध हो गया है | वे बोल नहीं सकते | अब आप इन तीनों रंगीन प्राणियों को देखिये | आप इन्हें न पहचान पाए होंगे | पहचानें भी कैसे? ये इस लोक के जीव तो हैं नहीं | ये तो स्वर्ग के देवता हैं जो हमें सदुपदेश देने के लिए पृथ्वी पर उतारे हैं | ये पीले विचारक हैं,कवि हैं, लेखक हैं | नीले नेता हैं और स्वर्ग के पत्रकार हैं और हरे वाले धर्मगुरु हैं | अब कविराज आपको स्वर्ग-संगीत सुनायेंगे | हाँ कवि जी …….”

पीले सियार को `हुआं-हुआं ‘ के सिवा कुछ और तो आता ही नहीं था | `हुआं-हुआं चिल्ला दिया |शेष सियार भी `हुआं-हुआं’ बोल पड़े | बूढ़े सियार ने आँख के इशारे से शेष सियारों को मना कर दिया और चतुराई से बात को यों कहकर सँभाला,“ भई कवि जी तो कोरस में गीत गाते हैं | पर कुछ समझे आप लोग? कैसे समझ सकते हैं? अरे, कवि की बात सबकी समझ में आ जाए तो वह कवि काहे का? उनकी कविता में से शाश्वत के स्वर फूट रहे हैं | वे कह रहे हैं की जैसे स्वर्ग में परमात्मा वैसे ही पृथ्वी पर भेड़िया | हे भेड़िया जी, महान ! आप सर्वत्र व्याप्त हैं, सर्वशक्तिमान हैं | प्रातः आपके मस्तक पर तिलक करती है, साँझ को उषा आपका मुख चूमती है , पवन आप पर पंखा करता है और रात्रि को आपकी ही ज्योति लक्ष-लक्ष खंड होकर आकाश में तारे बनकर चमकती है | हे विराट ! आपके चरणों में इस क्षुद्र का प्रणाम है |”

फिर नीले रंग के सियार ने कहा, “ निर्बलों की रक्षा बलवान ही कर सकते हैं | भेड़ें कोमल हैं, निर्बल हैं, अपनी रक्षा नहीं कर सकतीं | भेड़िये बलवान हैं, इसलिए उनके हाथों में अपने हितों को छोड़ निश्चिन्त हो जाओ, वे भी तुम्हारे भाई हैं | आप एक ही जाति के हो | तुम भेड़ वह भेड़िया | कितना कम अंतर है ! और बेचारा भेड़िया व्यर्थ ही बदनाम कर दिया गया है कि वह भेड़ों को खाता है | अरे खाते और हैं, हड्डियां उनके द्वार पर फेंक जाते हैं | ये व्यर्थ बदनाम होते हैं | तुम लोग तो पंचायत में बोल भी नहीं पाओगे | भेड़िये बलवान होते हैं | यदि तुम पर कोई अन्याय होगा, तो डटकर लड़ेंगे | इसलिए अपने हित की रक्षा के लिए भेडियों को चुनकर पंचायत में भेजो| बोलो संत भेड़िया की जय !”

फिर हरे रंग के धर्मगुरु ने उपदेश दिया, “ जो यहाँ त्याग करेगा, वह उस लोक में पाएगा | जो यहाँ दुःख भोगेगा, वह वहां सुख पाएगा | जो यहाँ राजा बनाएगा, वह वहाँ राजा बनेगा | जो यहाँ वोट देगा, वह वहाँ वोट पाएगा | इसलिए सब मिलकर भेड़िये को वोट दो | वे दानी हैं, परोपकारी हैं, संत हैं | में उनको प्रणाम करताहूं |”

यह एक भेड़िये की कथा नहीं है, सब भेड़ियों की कथा है | सब जगह इस प्रकार प्रचार हो गया और भेड़ों को विश्वास हो गया कि भेड़िये से बड़ा उनका कोई हित-चिन्तक और हित-रक्षक नहीं है |

और, जब पंचायत का चुनाव हुआ तो भेड़ों ने अपने हित- रक्षा के लिए भेड़िये को चुना |

और, पंचायत में भेड़ों के हितों की रक्षा के लिए भेड़िये प्रतिनिधि बनकर गए | और पंचायत में भेड़ियों ने भेड़ों की भलाई के लिए पहला क़ानून यह बनाया —-

हर भेड़िये को सवेरे नाश्ते के लिए भेड़ का एक मुलायम बच्चा दिया जाए , दोपहर के भोजन में एक पूरी भेड़ तथा शाम को स्वास्थ्य के ख्याल से कम खाना चाहिए, इसलिए आधी भेड़

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