प्रक्षों के उत्तरदो।
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सारे शीतल कोमल नूतन, मांग रहे तुझसे ज्वाला
कण
विश्व-शलभ सिर धुन कहता में, हाय! न जल पाया
तुझमें मिल,
सिहर-सिहर मेरे दीपक जल, जलते नभ में देखा
असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक,औ जल मय सागर का
उर जलता,
स्नेहहीन नित कितने दीपक, औ जल मय सागर का
उरजलता,
विद्युत ले घिरता है बादल विहंस-विहंस मेरे दीपक
जला
-(क) अपना सिर कौन धून रहा है तथा वह क्या
काम कर रहा है?
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(ख) दूसरे पद में कवि ने ईश्वर से नया प्रार्थना की
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(7) "सिर धुनना" नुहावरे का प्रयोग वाक्य में इस
तरह कीजिए कि उसका अर्थ स्पष्ट हो जाए? 2
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अपने से पढ़कर लिख । अच्छा से पढ़कर बताना
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उत्तर :
(क) जगत रूपी पतंगा (शलभ) अपना सिर सुन रहा है।
(ख) दूसरी पद में कवियत्री महादेवी वर्मा ईश्वर से प्रार्थना करती है कि उनकी आस्था रूपी दीपक सिहर सिहर के जले, जिससे जगत रूपी पतंगा जलकर समाहित हो जाए और उनका ईश्वर के प्रति अगाध प्रेम व श्रद्धा और अधिक मजबूत हो जाए।
(ग) सिर धुनने का अर्थ है - पछताना।
वाक्य प्रयोग: मोहन ने अपने 5 वर्षीय बेटे को चित्रकारी करने के लिए रंगीन पेंसिल दिए लेकिन जब उसने रंग से पुती सफेद दीवारें दिखी तो अपना सिर धुन लिया।
व्याख्या :
प्रस्तुत पंक्तियां छायावाद की प्रसिद्ध कवियत्री महादेवी वर्मा द्वारा रचित कविता मधुर मधुर मेरे दीपक जल से उद्धृत हैं।
#SPJ2
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