प्रकृति के भीतर छिपे कोष को कौन प्राप्त कर सकता है?
कवि के अनुसार धरती को स्वर्ग कैसे बनाया जा सकता है?
धरती, शब्द के दो समानार्थी शब्द लिखिए |
छिपा दिए सब तत्व आवरण के नीचे ईश्वर ने ' - इस पंक्ति का आशय
स्पष्ट कीजिए।
प्रस्तुत काव्यांश में निहित संदेश क्या है ?
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Answer:
मनुष्य की अपनी सभ्यता आदिम युग से लेकर आज तक की यात्रा पुरुषार्थ से ही प्राप्त कर सकता है। अपने सुख को प्राप्त करने के लिए वह केवल उद्यमशीलता का का आश्रय लेता है। इस प्रकार मनुष्य अपने बाहुबल से प्रकृति में छिपे खजाने को प्राप्त करता है।
कवि का कहना है कि धरती पर सभी मनुष्यों का समान अधिकार है . सुख के साधनों को केवल कुछ मनुष्यों का कब्ज़ा ही मनुष्य के दुखों का कारण है . यदि सभी को समान अधिकार मिले और विकास का समान अवसर मिले तो यह धरती अवश्य ही स्वर्ग बन जायेगी .
वसुधा, ज़मीन,
इतना कुछ है भरा विभव का, कोष प्रकृति के भीतर, निज इच्छित सुख-भोग, सहज ही पा सकते नारी-नर। ईश्वर ने सभी तत्त्वों को आवरण के नीचे छिपाकर रख दिया है जिन्हें मेहनती और उद्यमी मनुष्य अपने कड़े परिश्रम से खोज निकालता है। ... कवि का मानना है कि प्रकृति कभी भाग्य के बल से डरकर नहीं झुकती।