Hindi, asked by Anitha1539, 5 months ago

प्रकृति के कण-कान में कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है. इस कथन को प्रकृति की सीख पाठ के आधार पर निबंद कीजिए. answer me fast​

Answers

Answered by hadassahkiran85
1

Answer:

translate in hindi and write

Explanation:

hope it will help u at least 20%

thank u

have a nice day

Attachments:
Answered by nkrishnakarthik2007
0

Answer:

प्रकृति कई सुंदरियों और अजूबों से भरी प्यारी और आकर्षक दुनिया है। यह ईश्वर की एक कला है और ब्रह्मांड की बाकी चीजें कृत्रिम हैं। इसे ईश्वर ने मनुष्य के लिए बनाया है। प्रकृति जीवन के लिए बहुत आवश्यक है और इसका जीवन से बहुत गहरा संबंध है। ब्रह्मांड में प्रकृति की सुंदरता के समान कुछ भी नहीं है। प्रकृति में, कुछ भी बनाने का कोई प्रयास नहीं किया जाता है; उस पर सुंदरता स्वाभाविक रूप से आती है। लेकिन मनुष्य इसकी पूरी तरह से सराहना नहीं कर रहे हैं। यह मनुष्य को कई मूल्यवान चीजें सिखाता है। यह मनुष्य को सुख और दुख दोनों के साथ समान व्यवहार करना सिखाता है, संक्षेप में प्रकृति प्रभावशाली और शिक्षाप्रद है।

or

‘प्रकृति की सीख” कविता के कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी जी हैं । उनका जीवनकाल 1906-1988 है।

अपनी अमूल्य रचनाओं से वे हिन्दी साहित्य में प्रसिद्ध हुए हैं। उनकी प्रमुख रचना ” सेवाग्राम’ है। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया।

प्रस्तुत कविता में कवि कहते हैं कि हमारे चारों ओर की प्रकृति के कण-कण में कुछ संदेश छिपा स्हता है । उन संदेशों का आचरण करने से हम अपने जीवन को सार्थक व सफल बना सकते हैं।

पर्वत हम से कहता है कि तुम भी अपना सिर उठाकर मुझ जैसे ऊँचे (लंबे) बनजाओ । अर्थ है कि . सब में ऊँचा रहना महान गुण है। समुद्र लहराते कहता है कि मैं जैसे गहरा हूँ वैसे तुम भी अपने मन गहरे और विशाल बनाओ | माने गहराई से सोचो ।

समुद्र के चंचल तरंग उठ-उठ कर गिरते हैं। क्या तुम समझ सकते हो कि वे क्या कह रहे हैं ? वे कहना चाहते हैं कि तुम भी उनके जैसे अपने दिल में मीठी और कोमल आशाएँ भर लो । क्योंकि आशा को सफल बनाने का प्रयत्न ज़रूर करते हो।

धरती हम से कहती है कि चाहे जितनी बडी ज़िम्मेदारी तुम्हें पूरी करनी है, धैर्य के साथ उसे पूरा करो । आकाश कहता है कि मुझ जैसा पूरा फैलकर सारी दुनिया ढक लो | माने महान बनकर सब पर अपना प्रभाव दिखाओ।

Similar questions