Hindi, asked by kavitatishya, 10 months ago

प्रकृति के साथ छेड़छाड़ आपदा के निमंत्रण ​

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Answered by ap1861450
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प्रकृति के साथ छेड़छाड़ बनी मुसीबत . सुभाष जोशी

उत्तराखण्ड में 16 जून 2013 को आयी आपदा के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ। जिसका आंकलन सही-सही करना नामुमकिन बना हुआ है। खासकर केदारनाथ में मची तबाही ने उत्तराखण्ड ही नहीं पूरे देश को झकझोर दिया। इस तबाही के बाद देश में एक बहस छिड़ गयी। सभी समाचार चैनलों पर बड़ी-बड़ी बहसों का दौर शुरू हो गया, कहीं आरोप-प्रत्यारोप, तो कहीं गुस्सा, आक्रोश, तो कहीं दैवीय प्रकोप की बातें की जाने लगी। इतना सब होने के बाद भी हम और हमारी सरकारें इस घटना से सबक लेने के बजाय सियासी नफे-नुकसान के आइने में आंकलन कर रही हैं। प्रश्न उठता है कि आखिर यह आपदा क्यों आयी और इस आपदा ने इतने लोगों को कैसे लील लिया। बादल फटने की घटना पहाड़ के लिए नई नहीं है। मैंने 1992 में स्वयं अपने गांव में एक प्राइमरी स्कूल में हैडमास्टर की लड़की को इस आपदा में मरते देखा है, उस समय हम सब इस आफत को आसमानी आफत मान कर चुप रह गये, लेकिन अब ध्यान में आता है कि वो जो प्राइमरी स्कूल बना था वो ऐसी जगह पर था कि वहां पर कभी भी कोई घटना हो सकती थी।

इस तरह की आसमानी आफत तो कहीं भी, कभी भी आ सकती है

लेकिन इस आफत में लोगों के हताहत होने की संख्या में अन्तर आ सकता है, तो सवाल है कि इसमें हमारा और हमारी सरकारों की क्या गलती है? लेकिन इस विषय पर गम्भीरता से तथा वैज्ञानिक नजरिये से विचार करें तो यह आफत हमने स्वयं बुलाई है या यों कहें कि इस आफत के मुंह में हम स्वयं गये। कैसे ? क्योंकि प्रकृति का अपना नियम होता है, वो अपने अनुसार सन्तुलन कायम करती है, इस सन्तुलन की प्रक्रिया के सामने तब कोई भी आये उसका अन्त दुखद ही होता है। प्रकृति में मानवीय दखल ने इस तरह की परिस्थितियों को निर्मित किया है। जो नदी का रास्ता है या फैलाव का स्थान है, उन सभी स्थानों पर हमने बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर दी हैं। पूरे पहाड़ पर जगह-जगह नदियों के किनारे व ऐसे स्थानों पर जहां भू-घंसाव या भू-कटाव की सम्भावनायें हैं, वहां पर बसावट बनायी गयी है, मेरे गांव के बगल का एक गांव है छिनका, यह प्रसिद्ध पर्तवारोही बचेन्द्री पाल का पैतृक गांव है, यहां आज कई भवन अपने आप में ढह रहे हैं, क्योंकि यह पूरी धरती अपना स्थान बदल रही है या यों कहें कि ये पूरी जमीन धस रही है। कई परिवार इस कारण यहां से पलायन कर गये हैं, जो हैं भी वो किसी तरह से यहां जीवन -यापन कर रहे हैं। इस प्रकार के अवैध निर्माण की पहाड़ांे पर भरमार है। ये कुछ अज्ञानता के कारण हो रहे हैं और कुछ सियासी दबाब या धन व बाहुबल के आधार पर हो रहा है। जिसका खामियाजा आज हम सब भुगत रहे हैं। केदारनाथ के प्रलय के सम्बन्ध में बहुत सी बातें, तथ्य सामने आ रहे हैं, कुछ लोग तथा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने इससे पूर्व ही सरकार को रिपोर्ट के माध्यम से चेताया था कि केदारनाथ में निर्माण कार्य न करायंे, यदि करायें भी तो वहां से एक किलोमीटर नीचे एक सुरक्षित स्थान पर करें, क्योंकि उस समय ही वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर के पिघलने तथा इस कारण चोराबाडी झील के टूटने की सम्भावनायंे जताई थी। लेकिन हर बार की तरह यह बात आयी गयी हो गयी और सरकारी तंत्र में फाइल की शक्ल में कैद हो गयी। दूसरा मौसम विभाग ने चेताया था कि पहाड़ों पर भारी बारिश की संभावनायें हैं, लेकिन ‘भेड़िया आया भेड़िया आया’ की कहावत यहां चरित्रार्थ हो गयी और सचमुच जलप्रलय आ गया।

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Answered by summanichauhani
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संवाद सहयोगी, तलवाड़ा

सर्वहितकारी ग्रीन ईको क्लब ने विश्व जैविक दिवस पर प्रिं. देशराज शर्मा के दिशानिर्देश पर वीरवार को एक सेमिनार का आयोजन किया। इसमें पहली से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों ने भाग लिया।

क्लब के संयोजक नरेश कुमार एवं मोनिका परमार ने विद्यार्थियों को जैविक विविधता के महत्व को समझाते हुए इनके नष्ट होने के कारणों से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ करना नई आपदाओं को जन्म देना है। इस मौके पर विभिन्न प्रतियोगिताएं भी करवाई गई, जिसमें पहली से पांचवीं कक्षा के छात्रों में पोस्टर मेकिंग तथा छठी से बारहवीं तक के विद्यार्थियों की भाषण प्रतियोगिता करवाई गई।

विद्यार्थियों तुषार व चांदनी ने जैविक विविधता के संरक्षण को समझाते हुए कहा कि हमें अपने आसपास के पेड़ों तथा जीव जंतुओं की रक्षा करनी चाहिए। पोस्टर मेकिंग मुकाबलों में अनन्य, आस्था व परीक्षित ने क्रमश: पहला, दूसरा तथा तीसरा स्थान प्राप्त किया। उच्च प्राथमिक विभाग से यूती ने पहला, पंकज ने दूसरा तथा महक ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। भाषण प्रतियोगिता में मिडल से कुसुम प्रथम, ज्योतिका द्वितीय तथा कामना तृतीय स्थान पर रही। सेकेंडरी विभाग से रिचा ने पहला, चांदनी ने दूसरा व मेघा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर रेणु शर्मा, मोनिका, मधु शर्मा, राहुल ठाकुर, सुरजीत सिंह, ईशा सूद भी उपस्थित थे।

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