प्रकृति के साथ छेड़छाड़ मनुष्य को भारी होगी
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प्रकृति ने हमें कितना कुछ दिया है। उपजाऊ जमीन जो हमारे भोजन और आवास का आधार बनी पानी- जिसके बिना जीवन की कल्पना असंभव लगती है, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और जीवन को सरल सुगम बनाने के अनगिनत साधन। ...लेकिन इस नेमत के बदले हमने क्या लौटाया... दिन-ब-दिन बढ़ती तपन, असुरक्षित और प्रदूषित माहौल घटता भोजन व पानी कभी भी करवट लेने वाला मौसम। प्रकृति की बिगड़ती सेहत देखकर भी हमने अपनी आदतें नहीं बदलीं, तो इस एकमात्र जीवनदायिनी पृथ्वी में ही जिंदगी दूभर हो जाएगी।
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पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों में हवा, पानी, मिट्टी, खनिज, ईंधन, पौधे और जानवर शामिल हैं। इन संसाधनों की देखभाल करना और इनका सीमित उपयोग करना ही प्रकृति का संरक्षण है ताकि सभी जीवित चीजें भविष्य में उनके द्वारा लाभान्वित हो सकें। प्रकृति, संसाधन और पर्यावरण हमारे जीवन और अस्तित्व का आधार हैं।
हालांकि आधुनिक सभ्यता की उन्नति ने हमारे ग्रह के प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत प्रभाव डाला है इसलिए आज प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण बहुत जरूरी है। प्रकृति या पर्यावरण का संरक्षण केवल स्थायी संसाधनों के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन को दर्शाता है जिसमें वन्यजीव, जल, वायु और पृथ्वी शामिल हैं। अक्षय और गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन हैं। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण आमतौर पर मनुष्यों की जरूरतों और रुचियों पर केंद्रित होता है- उदाहरण के लिए जैविक, आर्थिक, सांस्कृतिक और मनोरंजक मूल्य।
संरक्षणवादियों का मानना है कि बेहतर भविष्य के लिए विकास आवश्यक है। लेकिन जब परिवर्तन ऐसे तरीके से होते हैं, जो प्रकृति को नुकसान पहुंचते हों तो वे विकास नहीं, वरन आने वाली पीढ़ियों के लिए विनाश का सबब बनते हैं। खाने, पानी, वायु और आश्रय जैसी सभी चीजें हमें जीवित रहने के लिए जरूरी हैं। ये सभी प्राकृतिक संसाधनों के अंतर्गत आते हैं। इनमें से कुछ संसाधन छोटे पौधों की तरह होते हैं। इन्हें इस्तेमाल किए जाने के बाद जल्दी से बदला जा सकता है। दूसरे, बड़े पेड़ों की तरह होते हैं। इनके बदलने में बहुत समय लगता हैं। ये अक्षय संसाधन हैं। अन्य संसाधन जैसे कि जीवाश्म ईंधन बिलकुल नहीं बदला जा सकता है। एक बार उपयोग करने के बाद ये पुन: प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं। ये गैर नवीनीकरण संसाधन के अंतर्गत आते हैं।