प्रकृति की शुभश्री फागुन में कैसे अपना रंग रूप बदलती है हट नहीं रे कविता के आधार पर लिखिए
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जब मौसम बदलते हैं जो कवियों के मन भी बदलने लगते हैं और स्वाभाविक रूप से प्रकृति के निकट होने के कारण कवि बदलते मौसम में कई रचनाएं भी करते हैं। फागुन एक ऐसी ही ख़ूबसूरत ऋतु है जिसमें प्रकृति के साथ-साथ मन में भी उल्लास आ जाता है।
ऐसी ही कुछ कविताएं जिन्हें फागुन पर लिखा गया है।
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कवियों के मन पर कुछ यूं असर डालता है फागुन
Deepali Agrawal दीपाली अग्रवाल
Hindi kavita on phagun
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जब मौसम बदलते हैं जो कवियों के मन भी बदलने लगते हैं और स्वाभाविक रूप से प्रकृति के निकट होने के कारण कवि बदलते मौसम में कई रचनाएं भी करते हैं। फागुन एक ऐसी ही ख़ूबसूरत ऋतु है जिसमें प्रकृति के साथ-साथ मन में भी उल्लास आ जाता है।
ऐसी ही कुछ कविताएं जिन्हें फागुन पर लिखा गया है।
केदारनाथ सिंह
गीतों से भरे दिन फागुन के ये गाए जाने को जी करता!
ये बाँधे नहीं बँधते, बाँहें-
रह जातीं खुली की खुली,
ये तोले नहीं तुलते, इस पर
ये आँखें तुली की तुली,
ये कोयल के बोल उड़ा करते, इन्हें थामे हिया रहता!
अनगाए भी ये इतने मीठे
इन्हें गाएँ तो क्या गाएँ,
ये आते, ठहरते, चले जाते
इन्हें पाएँ तो क्या पाएँ