प्रकृति के यौवन का सिंगार कभी ना करेंगे बांसी फूल मिलेगी भी जल्दी जाकर आ जाता है उनकी धूल
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बासी या मुरझाए हुए फूल तो धूल में मिल जाने के लिए ही हैं और उनसे कभी भी शृंगार नहीं हो सकता अत: मनुष्य को भी चाहिए कि वह अपने हृदय में आलस्य और निराशा की भावनाएँ न उठने दे क्योंकि वे तो जीवन के अनुपयोगी तत्व ही हैं तथा उनके कारण मनुष्य कभी भी प्रगति नहीं कर सकता।
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