प्रकृति में नई जातियों की युत्पती कैसे होती है
Answers
Answer:
mark left brainlist
Explanation:
जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है
जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।[1]
एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाली ऐसी भिन्न जातियाँ को, जिनमें जीववैज्ञानिकों को यह विश्वास हो कि वे अतीत में एक ही पूर्वज से उत्पन्न होकर क्रम-विकास (इवोल्यूशन) के ज़रिये समय के साथ अलग शाखों में बंट गई हैं, एक ही जीववैज्ञानिक वंश में डाला जाता है। मसलन घोड़े, गधे और ज़ेब्रा अलग जातियों के हैं लेकिन तीनों एक ही 'एक्वस' (Equus) वंश के सदस्य माने जाते हैं।[2]
आधुनिक काल में जातियों की परिभाषा अन्य पहलुओं को जाँचकर भी की जाती हैं। उदाहरण के लिए आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) का प्रयोग करके अक्सर जीवों का डी एन ए परखा जाता है और इस आधार पर उन जीवों को एक जाति घोषित किया जाता है जिनकी डी एन ए छाप एक दूसरे से मिलती हो और दूसरे जीवों से अलग हो।