Hindi, asked by akshit3124, 5 hours ago

प्रकृति मानव की चीर शहचरि रही है। मनुष्य आज स्वार्थवस उसके संतुलन को बिगड़ रहा है, जो कि भावी पीढ़ी के लिए घटक है। इस कथन के परिप्रेषय में अपने तर्कसंगत विचार लिखिए​

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Answered by kailaskrishnaushus
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“प्रकृति मानव की चीर सहचरी रही है | मनुष्य आज स्वार्थ वश उसके संतुलन को बिगाड़ रहा है जो भावी पीढ़ी के लिए घातक है |” इस कथन के समर्थन में अपने विचार लिखिए |

मनुष्य का जीवन पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है | हम अपनी आवश्यकता की लगभग सभी चीजें प्रकृति से प्राप्त करते हैं | लाखों वर्षों पूर्व जब मनुष्य का ज्ञान एक पशु से अधिक नहीं था तब भी मनुष्य जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें प्रकृति से ही प्राप्त करता था | आज जब हम विज्ञान की ऊँचाइयों को छू रहे हैं तब भी हमारी आवश्यकता की पूर्ती प्रक्रति से ही होती है | प्रकृति को इसी लिए माता कहा जाता है क्योंकि यह हमारा पालन पोषण करती है | अनंत काल से यह हमारी सहचरी रही है | प्रकृति का मनुष्य जीवन में इतना महत्त्व होते हुए भी हम अपने लालच के कारण उसका संतुलन बिगाड़ रहे हैं |

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