प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
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Answer:
प्रकृति ने जल संचय के लिए अनूठी व्यवस्था की है। प्रकृति, सर्दियों में बर्फ़ के रूप में जल संग्रह कर लेती है और गर्मियों में पानी के लिए जब पानी की मुश्किल होती हैं तो उस समय यही बर्फ़ पिघल कर जलधारा बन के नदियों को भर देती है | सचमुच प्रकृति ने जल संचय की कितनी अद्भुत व्यवस्था की है | वर्षा ऋतु में बारिश का पानी पहाड़ों के ऊपर जम जाता है और इस तरह जल का संचय हो जाता है। प्रकृति, सर्दियों के समय में पहाड़ों पर बर्फ बरसा देती है और जब गर्मी शुरू हो जाती है | प्रकृति, सर्दियों के समय में पहाड़ों पर बर्फ बरसा देती है और जब गर्मी शुरू हो जाती है तो उस बर्फ को पिघला कर नदियों को जल से भर देती है। प्रकृति ने इस प्रकार जल संचय की व्यवस्था की है |
Explanation:
प्रकृति ने जल संचय की बड़ी ही उत्तम व्यवस्था की है। जाङे के दिनों में जहाँ हिम ग्लैशियर जम जाते हैं वहीं गर्मी के मौसम में वे पिघल कर जल प्रदान करते हैं| यह जल फिर नदियों में जल की मात्रा को बढ़ाकर हमारे किसानों को खेती योग्य आवश्यक जल उपलब्ध कराता है। साथ ही जल में परिवर्तित हिम नदियों के माध्यम से देश के अन्य भागों में पहुँचकर आम लोगों को पीने एवं अन्य कार्यों के लिए आवश्यक जल उपलब्ध कराता है| फिर जाङे में यह जल पुनः जम जाता है और यह चक्र निरंतर चलता ही रहता है।
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