प्रकृति ने मानव जाति को दो स्वामियों के अधीन रखा है- दुःख और सुख। यह कथन किसका है?
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उत्तर - सर्वप्रथम बेन्थम ने इस मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त को स्वीकार किया कि मनुष्य स्वभाव से आनन्द की खोज करता है और कष्टों से बचना चाहता है। बेन्थम का कहना है कि "प्रकृति ने मानव जाति को सुख-दु:ख नामक दो महत्त्वपूर्ण स्वामियों के शासन में रखा है। हमें क्या करना चाहिए या हम क्या करेंगे यह केवल वे ही निश्चित कर सकते हैं एक मनुष्य अपने शब्दों द्वारा उनके शासन से बचने का बहाना भले ही करे, किन्तु वास्तव में सदैव उनके अधीन रहेगा।" बेन्थम का कहना है कि इस चीज को सिद्ध करने के लिए तर्क करने की आवश्यकता नहीं है। यह तो स्वयंसिद्ध सत्य है।
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