Hindi, asked by prashantlahamge2003, 2 months ago

प्रकृती और मानव का प्रकृति और मानव का संबंध स्पष्ट कीजिए ​

Answers

Answered by sainathfulmanthe
3

Answer:

प्रकृति और मनुष्य के बीच बहुत गहरा संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। मनुष्य के लिए धरती उसके घर का आंगन, आसमान छत, सूर्य-चांद-तारे दीपक, सागर-नदी पानी के मटके और पेड़-पौधे आहार के साधन हैं। ... इसी तरह आम आदमी ने प्रकृति के तमाम गुणों को समझकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव किए।

hope this is help you☺ friend

Answered by gk2721934
0

Answer:

\huge\color{cyan}\boxed{\colorbox{black}{Answer}}

Explanation:

वसंत की हवा जब बहेगी, उसका आनंद हमारे हृदय के पंजरों में अनायास हू-हू करके बह उठेगा। किंतु हाय, हम मनुष्यों का कोई काम बंद नहीं होगा। विश्व के साथ स्वतंत्र होने में ही मनुष्य का गौरव नहीं है। मनुष्य में विश्व का सकल वैचित्र्य है, इसलिए ही मनुष्य बड़ा है। मनुष्य जड़ के साथ जड़, तरु-लता के साथ तरु-लता, मृग-पक्षी के साथ मृग-पक्षी है।प्रकृति के राजभवन के नाना महलों के नाना द्वार उसके लिए खुले हुए हैं। किंतु खुले रहने से क्या होगा? एक-एक ऋतु में, एक-एक महल से जब उत्सव का निमंत्रण आता है, तब यदि वह उस निमंत्रण को ग्रहण न करके अपनी आढ़त की गद्दी में बैठा रहे तो वह इतना वृहत अधिकार किस तरह पाएगा?

वसंत की हवा जब बहेगी, उसका आनंद हमारे हृदय के पंजरों में अनायास हू-हू करके बह उठेगा। किंतु हाय, हम मनुष्यों का कोई काम बंद नहीं होगा। विश्व के साथ स्वतंत्र होने में ही मनुष्य का गौरव नहीं है। मनुष्य में विश्व का सकल वैचित्र्य है, इसलिए ही मनुष्य बड़ा है। मनुष्य जड़ के साथ जड़, तरु-लता के साथ तरु-लता, मृग-पक्षी के साथ मृग-पक्षी है।प्रकृति के राजभवन के नाना महलों के नाना द्वार उसके लिए खुले हुए हैं। किंतु खुले रहने से क्या होगा? एक-एक ऋतु में, एक-एक महल से जब उत्सव का निमंत्रण आता है, तब यदि वह उस निमंत्रण को ग्रहण न करके अपनी आढ़त की गद्दी में बैठा रहे तो वह इतना वृहत अधिकार किस तरह पाएगा?पूर्ण मनुष्य बनने के लिए उसको सबकुछ बनना पड़ेगा। दंभ के साथ व बार-बार क्यों कहा करता है, 'मैं जड़ नहीं, उद्भिद नहीं, पशु नहीं, मैं मनुष्य हूं। मैं केवल काम करता हूं, समालोचना करता हूं, शासन करता हूं और विद्रोह करता हूं।' वह यह बात क्यों नहीं कहता, 'मैं समस्त हूं, सबके साथ हमारा योग है। स्वातंत्र्य की भावना हमारी नहीं है।

Similar questions