प्रकृति प्रत्ययं च योजयित्वा पदनिर्माणं कुरुत
हेमन्त + ठक्, स्निह् + क्त, भुज् + तव्यत्, सेव् + यत्, शरद् + अण।
Answers
Answered by
3
प्रकृति प्रत्ययं च योजयित्वा पदनिर्माणं :
हेमन्त + ठक् → हैमन्तिकः
स्निह् + क्त → स्निग्धम्
भुज् + तव्यत् → भोक्तव्यम्
सेव् + यत् → सेव्यम्
शरद् + अण् → शारदम्
अतिरिक्त जानकारी :
प्रस्तुत प्रश्न पाठ ऋतुचर्या ( मौसम आहार) से लिया गया है। इस पाठ का संकलन महर्षि चरक द्वारा ग्रथित ग्रंथ "चरकसंहिता" नाम के प्रख्यात आयुर्वेद ग्रंथ से किया गया है लेकिन मूलतः स्वामी अग्निवेश द्वारा लिखा गया है।
प्रत्यय : जो शब्दांश मूल शब्द के अंत में लगाकर नए शब्द का निर्माण करता है उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
प्रत्यय के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं :
1. कृदन्त प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय
3. स्त्री प्रत्यय
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
ऋतुचर्यापाटम् अधिकृत्य प्रत्येकम् ऋती कि कि करणीयम किं किं च न करणीयम् इति मातृभाषया मुस्पष्टयत
https://brainly.in/question/15096587
Similar questions