प्रकृति पर आधारित एक सस्वर कविता
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in hindi
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Answer:
प्रकृति की लीला न्यारी,
कहीं बरसता पानी, बहती नदियां,
कहीं उफनता समंद्र है,
तो कहीं शांत सरोवर है।
प्रकृति का रूप अनोखा कभी,
कभी चलती साए-साए हवा,
तो कभी मौन हो जाती,
प्रकृति की लीला न्यारी है।
कभी गगन नीला, लाल, पीला हो जाता है,
तो कभी काले-सफेद बादलों से घिर जाता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।
कभी सूरज रोशनी से जग रोशन करता है,
तो कभी अंधियारी रात में चाँद तारे टिम टिमाते है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।
कभी सुखी धरा धूल उड़ती है,
तो कभी हरियाली की चादर ओढ़ लेती है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।
कहीं सूरज एक कोने में छुपता है,
तो दूसरे कोने से निकलकर चोंका देता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।
Answer:
हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजर बंद ना रह पाएंगे कनक तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे||
हम बता जल पीने वाले मर जाएंगे भूखे प्यासे कहीं भरी है कटिंग मेमोरी कनक कटोरी की मैदा से||
स्वर्ण संख्या के बंधन में अपनी गति उड़ान सब भोले बस सपनों में देख रहे हैं तरु की पुंगी पर के झूले||
ऐसे थे अरमान के उड़ते नीले नभ की सीमा पाने लाल Kiran चीजों से खोल अचूक दे तारक अनार के दाने||
होती सीमाहीन जिससे इन पंखों की होरा होरी या तो क्षितिज मिलन बन जाता है या तंत्री सांसों की डोरी||
मीणा दो चाहे कहने का आशय चिन्नवन कर डालो लेकिन पंख दिए हैं तो पुलकित उड़ान में विघ्न ना डालो||
Explanation:
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