Hindi, asked by uttamayush, 11 hours ago

प्रकृति से बड़ा परोपकारी कोई नही हो सकता। प्राकृतिक संपदा से सबसे पहले वृक्षों की चर्चा करते हैं। वृक्षों के पास जो कुछ भी संपत्ति है, वे उसे सहर्श मानव –समाज को भेंट कर देते है और तनिक भी दुख या घमंड का अनुभव नही करते। वृक्षों की झुकी डालियों की ओर देखता हूँ तो मुझे विनम्रता की शिक्षा मिलती है। फलों से लदा वृक्षों की झुकी हुई डालियाँ हमें विनम्रता का संदेश देती है। प्रकृति से मुझे और मानव समाज को यह सुन्दर संदेश मिलता है कि हम अपनी संपत्ति का उपयोग परमार्थ के लिए करें, ताकि समूची मानवता का कल्याण हो सके और इस संसार से विषमता का विष दूर किया जा सके। प्रकृति के अंग के रूप में नदियों की विशेषता यह है कि वे अपने मार्ग में आने वाले पर्वतों, पत्थरों, चट्टानों तथा अन्य सभी प्रकार के अवरोधों से संधर्ष करती हुई अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहती है। इससे यह संदेश मिलता है कि हमें अपनी जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की बाधाओं को देखकर विचलित नही होना चाहिए। iska tital a ho ga

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Answered by BʀᴀɪɴʟʏAʙCᴅ
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प्रकृति से बड़ा परोपकारी कोई नही हो सकता। प्राकृतिक संपदा से सबसे पहले वृक्षों की चर्चा करते हैं। वृक्षों के पास जो कुछ भी संपत्ति है, वे उसे सहर्श मानव –समाज को भेंट कर देते है और तनिक भी दुख या घमंड का अनुभव नही करते। वृक्षों की झुकी डालियों की ओर देखता हूँ तो मुझे विनम्रता की शिक्षा मिलती है। फलों से लदा वृक्षों की झुकी हुई डालियाँ हमें विनम्रता का संदेश देती है। प्रकृति से मुझे और मानव समाज को यह सुन्दर संदेश मिलता है कि हम अपनी संपत्ति का उपयोग परमार्थ के लिए करें, ताकि समूची मानवता का कल्याण हो सके और इस संसार से विषमता का विष दूर किया जा सके। प्रकृति के अंग के रूप में नदियों की विशेषता यह है कि वे अपने मार्ग में आने वाले पर्वतों, पत्थरों, चट्टानों तथा अन्य सभी प्रकार के अवरोधों से संधर्ष करती हुई अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहती है। इससे यह संदेश मिलता है कि हमें अपनी जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की बाधाओं को देखकर विचलित नही होना चाहिए।

Answered by nihasrajgone2005
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प्रकृति से बड़ा परोपकारी कोई नही हो सकता। प्राकृतिक संपदा से सबसे पहले वृक्षों की चर्चा करते हैं। वृक्षों के पास जो कुछ भी संपत्ति है, वे उसे सहर्श मानव –समाज को भेंट कर देते है और तनिक भी दुख या घमंड का अनुभव नही करते। वृक्षों की झुकी डालियों की ओर देखता हूँ तो मुझे विनम्रता की शिक्षा मिलती है। फलों से लदा वृक्षों की झुकी हुई डालियाँ हमें विनम्रता का संदेश देती है। प्रकृति से मुझे और मानव समाज को यह सुन्दर संदेश मिलता है कि हम अपनी संपत्ति का उपयोग परमार्थ के लिए करें, ताकि समूची मानवता का कल्याण हो सके और इस संसार से विषमता का विष दूर किया जा सके। प्रकृति के अंग के रूप में नदियों की विशेषता यह है कि वे अपने मार्ग में आने वाले पर्वतों, पत्थरों, चट्टानों तथा अन्य सभी प्रकार के अवरोधों से संधर्ष करती हुई अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहती है। इससे यह संदेश मिलता है कि हमें अपनी जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की बाधाओं को देखकर विचलित नही होना चाहिए।

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Explanation:

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