Hindi, asked by anjukamboj1585, 6 hours ago

प्रकृति से खिलवाड़ के कारण आज जगह-जगह प्रकृति रुठती दिखाई देती है। कैसे? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए। ​

Answers

Answered by yogeshbhuyal7
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Answer:

मनुष्य का जीवन सुरक्षित रहे, इसके लिए ही हरे पेड़-पौधे बनाये गये. उन्हीं से ऋणायन बना है, जो मनुष्यों के स्वास्थ्य की रक्षा करता है. ऋणायन हरे-भरे वृक्ष, पहाड़ की चोटी और समुद्र की लहरों से पैदा होता है. हरे-भरे पेड़ों की कमी के चलते जब बड़े शहरों के लोग बीमार पड़ने लगते हैं, तब डॉक्टर उन बीमार व्यक्तियों को किसी हिल स्टेशन पर जाने की सलाह देते हैं. यही वजह है कि लोग हिल स्टेशनों, जंगलों, पहाड़ों और समुद्र के किनारे स्वास्थ्य लाभ करने के उद्देश्य से जाते हैं. हमारा शरीर प्रकृति का एक छोटा अंश है.

हमारे शरीर में लगभग 20 लाख रोम छिद्र हैं, जो प्रत्येक क्षण सांस लेते रहते हैं और बाहर के वातावरण से सिग्नल प्राप्त करते हैं. अगर बाहर स्वास्थ्यप्रद वातावरण हो, तो शरीर को स्वस्थ और पौष्टिक वायु प्राप्त होती है और अगर बाहर का वातावरण मरुभूमि सदृश हो, जहां कोई हरियाली न हो, तो वह सूखा वातावरण ऋणायन के अभाव में निष्प्राण हो जाता है.

यह हमारे शरीर के लिए हानिकारक है. इसलिए आज का विज्ञान कहता है कि यदि शरीर स्वस्थ रखना है, तो हरियाली लगाओ, ऋणायन से शरीर का पोषण करो. यह तो हमारा दुर्भाग्य है कि हम प्रगति के नाम पर जीवन-रस प्रदान करनेवाले वृक्षों, पहाड़ों और पौधों को निर्दयतापूर्वक काट रहे हैं. हम अहंकारवश जीवनदायी तत्व प्रदान करनेवाले वृक्षों को ही नष्ट कर रहे हैं. हम यह भूल जाते हैं कि इन वृक्षों में भी प्राण बसते हैं और आज हम इन्हीं वृक्षों को बेरहमी से काट कर वहां सड़कें और मॉल बना रहे हैं.

जब वृक्ष के अभाव में पूरी मनुष्य जाति समाप्त हो जायेगी, तो फिर इन सड़कों पर कौन चलेगा? हमारी पृथ्वी पर ये वृक्ष और पौधे अकारण नहीं हैं. पृथ्वी बनानेवाले महान वैज्ञानिक परमात्मा ने मनुष्य की रक्षा के लिए पृथ्वी पर इसलिए ही इन वृक्षों को उपजाया और मनुष्यों को इससे लाभ उठाने की समय-समय पर प्रेरणा भी देता रहा, लेकिन हम कुछ सीखने को तैयार ही नहीं हैं. यह पूरी मानव जाति के लिए बहुत ही दुखद है कि हम अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के साथ लगातार खिलवाड़ करते जा रहे हैं, जबकि प्राकृतिक तत्वों के बिना हमारा स्वस्थ्य जीवन दूभर हो जायेगा.

Answered by choudharysurbhy
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प्रकृति के साथ खिलवाड ही तो कर रहे है हम सब जगह जगह पॉलीथीन थेलियाँ बिखरी पड़ी है, पेड़ पौधे काट रहे जिससे oxizen की कमी हो रही है , पानी भी नही बचा रहे है जिसकी बदोलत प्रकृति हमसे रूठ गई है इसी वजह से एसी घात क बीमारिया पैदा हो रही है और लॉकडॉन हो रहा है

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