प्रकृति से संबंधित दो कविताएँ लिखे
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kavita no.1 )
महानगर के रहने वाले बेटे से
मिलने बापू-अम्मा आए
बीस मंजिले पर चढ़ने से
बहुत ही हैं घबराए।
चारों तरफ है कांक्रीट के जंगल
पशु-पक्षी हैं बिसराए
बंद हवा और धूप देखकर
मन ही मन पछताए।
दरबे जैसे घर में
बहू और बेटा बंद पड़े
ताजी हवा के झोंके
जैसे बीते दिन की बात हुई
पास में लेटा पोता राजा
अंगूठा चूस-चूस चिल्लाए
जोर-जोर से रोता देखकर
पाऊडर घोर-घोर पिलाए।
रोज सबेरे सब निकले घर छोड़कर
सांझ तक लौट न घर आए
छोटा बबुआ दिनभर रोये
झुनझुना देख-देख ललचाये
दादा-दादी की हैं आंखें भर आईं।
जीवन के इस रूप को देखकर
मन में वितृष्णा है हो आई
मृगतृष्णा से इस जीवन से
कैसे छुटकारा पाएं
सोच रहे हैं बुजुर्ग दंपति
मन ही मन भरमाए।
kavita no.2 )
प्रकृति हमेशा हमें कुछ न कुछ देती हैं. इस से हमें जल, हवा, जडीबुटी, फल और बहुत कुछ मिलता हैं. प्रकृति से हमें जीवन जीने के लिए सब कुछ प्राप्त होता हैं. यह हमारे लिए जीवनदाई हैं.
प्रकृति हमेशा हमें कुछ न कुछ देती हैं. इस से हमें जल, हवा, जडीबुटी, फल और बहुत कुछ मिलता हैं. प्रकृति से हमें जीवन जीने के लिए सब कुछ प्राप्त होता हैं. यह हमारे लिए जीवनदाई हैं.प्रकृति हमारे जीवन को सरल बनाती हैं. लेकिन अभी के समय में मानव अपने कुछ स्वार्थ लाभ के लिए प्रकृति से खिलवार कर रहा हैं. जो हमारे आने वाले पीढ़ियों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा. इसलिए आपसे निवेदन हैं की प्रकृति की रक्षा के लिए आप जो कर सकते हैं वह करें. और कम से कम एक पेड़ जरुर लगाएं.