प्रकृति से व्यक्ति को क्या शिक्षा मिलती है?
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प्रकृति हमारे श्रेष्ठतम शिक्षक है। प्रकृति के प्रत्येक घटक और कृत्य कुछ न कुछ हमें सिखाती है। जल हमें हर परिस्थिति में ढलना और हर बाधाओं को पार करना सिखाती है, वायु हमें गतिशील रहना सिखाती है, पृथ्वी हमें धैर्य रखने और दृढ़ता की शिक्षा देती है, आग हमें स्वयं जलकर ऊष्मा व ऊर्जा प्रदान करने की सीख देती है, आकाश हमें अनंत विस्तार की संभावनाओं के सीख देती है। प्रकृति के साथ पूरा तादात्म्य ही हमें संपूर्णता तक पहुंचाता है। परंतु जब हम प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित करने में असफल रहते हैं या प्रकृति के साथ उनके नियम के विरुद्ध छेड़छाड़ करते हैं तब ये विकराल व भयावह रूप धारण कर हमें भारी नुकसान पहुंचाती है। प्रकृति के पास परिवर्तनकारी शक्तियां होती है, जो सतत् परिवर्तन के नियम को क्रियान्वित करती रहती है। प्रकृति कभी भी अपने नियम नहीं तोड़ती है। प्रत्येक घटना प्रकृति के नियमों के अनुसार ही घटित होती है, फिर भी वे नियम चाहे स्थूल प्रकृति के हों अथवा सुक्ष्म प्रकृति के। नियमों के विपरीत कहीं कुछ भी नहीं होता। इसीलिए जिन्हें जीवन के सत्य का बोध है, वे सभी प्रकृति के साथ साहचर्य निभाते हैं। प्रकृति का सिद्धांत सत्य पर आधारित है अर्थात सत्य ही प्रकृति है। सिद्धांत के पीछे प्रकृति का एक ही संदेश और शिक्षा है कि "वही करो जो सही हो।"यही प्रकृति की उपासना है।
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