Hindi, asked by SKVerma92, 4 months ago

प्रकृति वर्णन से संबंधित कविता है
(A)
गाँव का घर
(B)
उषा
(C)
साकेत
(D)
हार-जीत​

Answers

Answered by bhatiamona
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प्रकृति वर्णन से संबंधित कविता है

(A) गाँव का घर

(B) उषा

(C) साकेत

(D) हार-जीत

सही जवाब :

(B) उषा

व्याख्या :

'उषा' कविता प्रकृति वर्णन से सबंधित कविता है। ये कवित शमशेर बहादुर सिंह राणा द्वारा लिखी गई कविता है। इस कविता में कवि ने गाँव की सुबह का वर्णन किया है। सुबह-सुबह आसमान में जो उषा की लालिमा छाई होती है, कवि ने उसके सौंदर्य का वर्णन किया है। उसके बाद सूर्य की किरणों के आगमन से ऊषा के प्रभाव के समाप्त होने का वर्णन किया है।

कवि गाँव की सुबह का वर्णन करते हुए कहता है कि सुबह का आकाश ऐसा प्रतीत होता है, जैसे मानो कोई नीला शंख हो। वातावरण में चारों ओर नवमी एवं पवित्रता दिखाई पड़ती है। सुबह-सुबह के आकाश को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे राख से लीपा हुआ कोई चौका हो। जिस तरह गाँव में रात से चौके को लीप देते हैं और सुबह के समय हल्की सी नमी के कारण जिस रंग का दिखाई देता है, उसी तरह सुबह का आकाश भी ऐसे ही प्रतीत हो रहा है। ऐसे लग रहा है कि जैसे राख से कोई चौका लीप दिया हो।

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शमशेर की कविता के आधार पर गांव की सुबह की दो विशेषताएं लिखिए।

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'उषा' का जादू टूटने का कारण है​?।

Answered by tripathiakshita48
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Answer:

(B)उषा

Explanation:

उषा कविता का सारांश – सूर्योदय के ठीक पहले प्रकृति का जो दृश्य होता है, उस दृश्य को चित्रित करने के लिए कवि ने ‘उषा कविता’ लिखी है। इस संपूर्ण कविता में कवि ने प्रकृति का बहुत ही अद्भुत चित्र प्रस्तुत किया है। सूर्योदय से पूर्व प्रकृति का दृश्य कैसा होता है, इस कविता के माध्यम से हमें भली-भांति पता चलेगा।कवि गाँव की सुबह का वर्णन करते हुए कहता है कि सुबह का आकाश ऐसा प्रतीत होता है, जैसे मानो कोई नीला शंख हो। वातावरण में चारों ओर नवमी एवं पवित्रता दिखाई पड़ती है। सुबह-सुबह के आकाश को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे राख से लीपा हुआ कोई चौका हो। जिस तरह गाँव में रात से चौके को लीप देते हैं और सुबह के समय हल्की सी नमी के कारण जिस रंग का दिखाई देता है, उसी तरह सुबह का आकाश भी ऐसे ही प्रतीत हो रहा है। ऐसे लग रहा है कि जैसे राख से कोई चौका लीप दिया हो। उषा कविता के अनुसार कवि को सुबह का रंग ऐसा प्रतीत होता है, जैसे किसी ग्रिहणी ने अपने चूल्हे को राख से लीप दिया हो और जब सूर्य अपनी लालिमा संपूर्ण पृथ्वी पर फैलाता है, उस वक्त कवि को वह लालिमा ऐसी प्रतीत होती है, मानो काले सिलबट्टे पर किसी ने लाल खड़ी मिट्टी लगा दी हो।अंत में कवि कहते हैं कि जब सूर्य पूरी तरह से उदय हो जाता है, तब भोर का वह सुंदर दृश्य ना जाने किस जादू के कारण गायब हो जाता है। बस इसी बात का चित्र प्रस्तुत कविता उषा में किया गया है।

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